संदीपन

25 मार्च 2015

प्रश्न : वहुत तरह के देवी देवताओं का तात्पर्य क्या है ?


श्रीश्रीठाकुर : देवता शब्द आया है 'दिव' धातु से.  इसका अर्थ प्रकाश होता है.  एक-एक गुण की अभिव्यक्ति एक-एक देव-देवी है.

प्रश्न : प्रलय क्या है ?
श्रीश्रीठाकुर : प्रकृष्ट भाव से लीन होना ही प्रलय है.  प्रकृति-पुरुष में लीन होने के माध्यम से ही सृष्टि होती है.

प्रश्न : प्रकृति-पुरुष में लीन होने का अर्थ क्या होता है ?
श्रीश्रीठाकुर : प्रकृति पुरुष के प्रति जब आकृष्ट होती है, उस समय पुरुष को हृदय में धारण करके उसमें लीन होती है.  प्रकृति आधार होती है अर्थात मातृशक्ति, पुरुष अर्थात पितृशक्ति होती है आधेय.  प्रकृति होती है चर, पुरुष होता है स्थिर.  इन दोनों के संमिश्रण से सबकुछ होता है.
-राजीव रंजन 

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