संदीपन

27 मार्च 2013

धर्म को बाँटने वाले इंसान बता तेरी रज़ा क्या है

श्री श्री ठाकुर अनुकूल चन्द्र जी ने समस्त भारतवासियों को सावधान किया और कहा :-

भारत की अवनति तभी से आरंभ हुई जबसे भारतवासियों के लिए अमूर्त भगवान असीम हो उठे - ऋषियों को छोड़कर रिशिवाद की उपासना प्रारंभ हुइ.
भारत! यदि भविष्यत् कल्याण चाहते हो, तो सम्प्रदायगत विरोध को भूलकर जगत के पूर्व पूर्व गुरुओं के प्रति श्रद्धा सम्पन्न हो ऒ .................(सत्यानुसरण)

उनकी बात को न समझपाने का परिणाम स्वरुप आज देश की मनोदशा क्या हो गई है :
आओ देश वासियों से पूछे ?

धर्म को बाँटने वाले इंसान बता तेरी रज़ा क्या है?
तूने ईश्वर को भी ना छोड़ा, बता तेरी सज़ा क्या है?
जातिवाद के नाम पर क्यों फैलाते हो आग ?
क्षेत्रीयता का क्यों अलापते हो राग ?
छोड़ दो इंसानियत का खून करना
मानवता को तो रहने दो बेदाग़.
राम, रहीम ,यीशु ना जाने कितने दिए नाम
परिंदों ने क्यों नहीं बनाया अपना कोई भगवान ?
क्यों वृक्षों के पत्ते सबको करते हैं सलाम ?
सबको करने देते अपनी छाया में विश्राम.
भूख एक, प्यास एक, बहती हवा का अहसास एक
जीवन को रौशन करते सूर्य का प्रकाश एक
फिर कौनसी मजबूरियाँ, क्यों दिलों की दूरियाँ
जब हर दिल में धड़कने वाली धड़कनों की आवाज़ एक.
मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर में क्यों करते ईश्वर को कैद
इंसानियत के दामन में क्यों करते हो इतने छेद
मानवता है धर्म हमारा, हैं मनुष्यता जाति
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई छोड़ दो सारे भेद.
क्यों न आते एक नाम एक निष्ठां के तले?
क्यों बन बैठे नफरत बनकर खुद नफरत के जले।
आओ बनाये एक सुन्दर हिन्दुस्तान आज।
आओ जाने भाईचारे से रहने का राज!
सच्चा इंसान ही सच्चा हिन्दुस्तान बना सकता है.
सत्य के पथ पर चलना है तो हर कोई आ सकता है!

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