९ दिसंबर २०११ का दिन शायद मैं कभी भूल न पावुंगी.
Sumit Patel जी ने एक facebook पर गीत Mere ho tum khevanhaar.. गीत डाला .
शायद कपि नहीं जानता शिलांग में २००६ तक़रीबन १० या ११ जुलाई की बात है . मेरी एक छोटी सी भूल से परमपुज्यपद श्री श्री दादा को ठेस लगी थी . मुझे ऐसा लगा मानो जीवन बेकार ही हो गया .
मैं हिंदी भाषी हूँ चाहकर भी मन की बात उनके सामने कह नहीं सकती . कई दिन तक आत्मग्लानी के साथ नाम करते करते एक रात यह गीत " मोरे हो तुम खेवनहार...." अपने आप ही लिखा गया . बहुत ही हिम्मत करके मैं प्रातः प्रार्थना के बाद श्री श्री दादाके पास गई उन्होंने मुझे देखते ही कहा यह क्या है?
मेरे तो आंसू ही नहीं रुके . वो कैसे हर एक के मन की बात जानते हैं . हम बार बार भूलें करते हैं फिरभी वे बार बार हमें माफ़ करते हैं. शाम को ही मैंने देखा श्री श्री दादा के पास बैठ कर गुरु भाई सपन डा इस गीत को उनकी पसंद का सूर दे रहे थे. इतना ही नहीं मुझे देखकर श्री श्री दादा ने सपन डा से कहा की पुष्पा माँ को गा कर सुनाओ और एक कैसेट में यह भजन रिकॉर्ड करके दो.
वो कैसेट मैंने संभल कर रखी है पर कई दिन से मिल नहीं रही. और अचानक कल facebook पर इसे देख मेरी क्या अनुभूति हो सकती है कोई समझ ही नहीं पायेगा .
यह भी उनकी कितनी दया है की इधर मैं कैसेट खोज रही हूँ उधर बलराम डा द्वारा गया यह गीत फसबूक पर मेरे सामने है.
श्री श्री दादा की दया किस प्रकार हर वक्त हर घडी मेरे साथ रहती है .
मोरे हो तुम खेवनहार
मोरे हो तुम खेवनहार………हो मोरे देवा ……
तुम बिन न कोई आधार ………हो मोरे देवा ……
मोरे हो तुम ……
यह जग है इक भ्रम की माया निकल न पाते हम
सांसो का बस आना जाना जीवन का है अंत
करलो मुझको स्वीकार हो…मोरे देवा…………
तुम बिन न कोई आधार ………हो मोरे देवा ……
मोरे हो तुम ……
सूना था मेरे दिल का कोना ज्योत जगाए तुम
विश्राम दिया जीवन को ऐसा जब चरणों में आए हम
रखना तुम हमको सम्भाल हो… मोरे देवा………
तुम बिन न कोई आधार ………हो मोरे देवा ……
मोरे हो तुम ……
इक इक सांस में तुझे पुकारूं मति देना ऐसी
चरणों की प्रभू धूल बनपाऊं सुमति देना ऐसी
अंत में देना न बिसार…हो मोरे देवा
तुम बिन न कोई आधार ………हो मोरे देवा ……
मोरे हो तुम ……
Sumit Patel जी ने एक facebook पर गीत Mere ho tum khevanhaar.. गीत डाला .
शायद कपि नहीं जानता शिलांग में २००६ तक़रीबन १० या ११ जुलाई की बात है . मेरी एक छोटी सी भूल से परमपुज्यपद श्री श्री दादा को ठेस लगी थी . मुझे ऐसा लगा मानो जीवन बेकार ही हो गया .
मैं हिंदी भाषी हूँ चाहकर भी मन की बात उनके सामने कह नहीं सकती . कई दिन तक आत्मग्लानी के साथ नाम करते करते एक रात यह गीत " मोरे हो तुम खेवनहार...." अपने आप ही लिखा गया . बहुत ही हिम्मत करके मैं प्रातः प्रार्थना के बाद श्री श्री दादाके पास गई उन्होंने मुझे देखते ही कहा यह क्या है?
मेरे तो आंसू ही नहीं रुके . वो कैसे हर एक के मन की बात जानते हैं . हम बार बार भूलें करते हैं फिरभी वे बार बार हमें माफ़ करते हैं. शाम को ही मैंने देखा श्री श्री दादा के पास बैठ कर गुरु भाई सपन डा इस गीत को उनकी पसंद का सूर दे रहे थे. इतना ही नहीं मुझे देखकर श्री श्री दादा ने सपन डा से कहा की पुष्पा माँ को गा कर सुनाओ और एक कैसेट में यह भजन रिकॉर्ड करके दो.
वो कैसेट मैंने संभल कर रखी है पर कई दिन से मिल नहीं रही. और अचानक कल facebook पर इसे देख मेरी क्या अनुभूति हो सकती है कोई समझ ही नहीं पायेगा .
यह भी उनकी कितनी दया है की इधर मैं कैसेट खोज रही हूँ उधर बलराम डा द्वारा गया यह गीत फसबूक पर मेरे सामने है.
श्री श्री दादा की दया किस प्रकार हर वक्त हर घडी मेरे साथ रहती है .
मोरे हो तुम खेवनहार
मोरे हो तुम खेवनहार………हो मोरे देवा ……
तुम बिन न कोई आधार ………हो मोरे देवा ……
मोरे हो तुम ……
यह जग है इक भ्रम की माया निकल न पाते हम
सांसो का बस आना जाना जीवन का है अंत
करलो मुझको स्वीकार हो…मोरे देवा…………
तुम बिन न कोई आधार ………हो मोरे देवा ……
मोरे हो तुम ……
सूना था मेरे दिल का कोना ज्योत जगाए तुम
विश्राम दिया जीवन को ऐसा जब चरणों में आए हम
रखना तुम हमको सम्भाल हो… मोरे देवा………
तुम बिन न कोई आधार ………हो मोरे देवा ……
मोरे हो तुम ……
इक इक सांस में तुझे पुकारूं मति देना ऐसी
चरणों की प्रभू धूल बनपाऊं सुमति देना ऐसी
अंत में देना न बिसार…हो मोरे देवा
तुम बिन न कोई आधार ………हो मोरे देवा ……
मोरे हो तुम ……
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