क्यूँ सोये अँखियाँ मीचे!
भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता रही है स्वनिष्ठा (self रेस्पेक्ट) एवं उदारता.
परन्तु आज घर परिवार और स्कुल तीनों ही जगह इन दोनों ही चीजों को उपेक्षा हो रही है.
यही कारणहै की हमारे बच्चों को सही मार्गदर्शन का अभाव हो रहा है वर्ना आज की हमारी युवा पीढ़ी संसार के किसी भी देश से कम तेजस्वी नहीं.
लेकिन उन्नति के इस समय में हम कहीं न कहीं आत्म -उन्नति से पीछे होते जा रहे हैं. इसको भी हमें संजो कर रखना होगा .
हमारा आन्तरिक और बहरी दोनों विकाश संभव हो
इसलिए facebook के जरिये हम सबका आह्वान करते हैं की यथा शीघ्र श्री श्री ठाकुर की भावधारा को समझें और आगे बढ़ें क्योंकि समय किसी का इंतजार नहीं करता .
श्री श्री ठाकुर ने कहा है तपती हुई बालू की रेत में इतनी दूर न जाओ की लौट न सको.
हे देश वासियों ! अपना अपने परिवार समाज और रास्ट्र का गौरव बचाना और बढ़ाना है तो श्री श्री ठाकुर की भावधारा में आओ और वह सब चीज पाओ जिस लिए तुमने इस धरा पर जनम धारण किया है.
क्योंकि कहा गया है " वीर भोगे बसुन्धरा "
वीरत्व को पाना है तो किसी महावीर का संग तो करना ही होगा!
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