संदीपन

12 फ़र॰ 2010

भजन

प्रार्थना
नमन करू मैं बारम्बार……………
नमन करू मैं बारम्बार……………
हे परमेश्वर हे जगदीश्वर खडा हूं तेरे द्वार
नमन करू मैं बारम्बार……………
कोटि जनम के बाद हे स्वामी …………पायो दर्शन आज
नमन करू मैं बारम्बार……………
हे जग स्वामी. अन्तर्यामी …………पायो न तेरो पार
नमन करू मैं बारम्बार……………
कण कण में प्रभू छवि तुम्हारी …………सारा जग आसार
नमन करू मैं बारम्बार……………
जप तप साधन कछु भी न जानूं …………शरण में लेलो आज
नमन करूं मैं बारम्बार………………
चरणों में अपने रखलो मुझको …………हो मेरा निस्तार
नमन करू मैं बारम्बार……………
नमन करू मैं बारम्बार……………



मोरे हो तुम खेवनहार

मोरे हो तुम खेवनहार………हो मोरे देवा ……
तुम बिन न कोई आधार ………हो मोरे देवा ……
मोरे हो तुम ……
यह जग है इक भ्रम की माया निकल न पाते हम
सांसो का बस आना जाना जीवन का है अंत
करलो मुझको स्वीकार हो…मोरे देवा…………
तुम बिन न कोई आधार ………हो मोरे देवा ……
मोरे हो तुम ……
सूना था मेरे दिल का कोना ज्योत जगाए तुम
विश्राम दिया जीवन को ऐसा जब चरणों में आए हम
रखना तुम हमको सम्भाल हो… मोरे देवा………
तुम बिन न कोई आधार ………हो मोरे देवा ……
मोरे हो तुम ……
इक इक सांस में तुझे पुकारूं मति देना ऐसी
चरणों की प्रभू धूल बनपाऊं सुमति देना ऐसी
अंत में देना न बिसार…हो मोरे देवा
तुम बिन न कोई आधार ………हो मोरे देवा ……
मोरे हो तुम ……


 
अभिनन्दन

अभिनन्दन.....अभिनन्दन..... प्रभू बार बार अभिनन्दन।
अभिनन्दन ! अभिनन्दन ! प्रभू बार बार अभिनन्दन।।टेर।।

प्रभू जबसे तुमको पाया तब हटा तम का साया।
करूं हर पल वन्दन  ! प्रभू बार बार अभिनन्दन।।
अभिनन्दन ! अभिनन्दन ! प्रभू बार बार अभिनन्दन।।1।।

पूजा की विधि ना जानूं. ना सेवा की विधि जानूं।
जग बना शीतल चन्दन ! प्रभू बार बार अभिनन्दन।।
अभिनन्दन ! अभिनन्दन ! प्रभू बार बार अभिनन्दन।।2।।


४ 
 बहुत दूर रहते तुम……… दूर रहते तुम……


कैसे आऊं मैं देवा.......
कैसे आऊं मैं प्रभूजी..............
बहुत दूर रहते तुम……… दूर रहते तुम……
हां…दूर रहते तुम……बहुत दूर रहते तुम……

मेरे पैरों में देवा बेडी पडी है………2 नैनों में अंसुवन…2
दूर रहते तुम……………………
कैसे आऊं मैं देवा !....... कैसे आऊं मैं प्रभूजी !.......

अपने ह्रदय को प्रभूजी कैसे दिखाऊं………2 तुम हो सम्पूर्ण…2
दूर रहते तुम……………………
कैसे आऊं मैं देवा !...... कैसे आऊं मैं प्रभूजी!.....
तेरी कृपा बिन प्रभूजी दरस कैसे पाऊं……2 दे दो दरशन…2
देवा दूर रहते तुम……………………
कैसे आऊं मैं देवा !............. कैसे आऊं मैं प्रभूजी !

कैसे आऊं मैं देवा !...........कैसे आऊं मैं प्रभूजी!...............
बहुत दूर रहते तुम……… दूर रहते तुम…………दूर……


 
मनवा प्रभू आए तेरे द्वार

मनवा प्रभू आए तेरे द्वार मनवा प्रभू आए तेरे द्वार।
मनवा प्रभू आए तेरे द्वार मनवा…………………।
मन की पीडा धर चरणों में ……2 सुनेंगे बारम्बार………
मनवा प्रभू आए तेरे द्वार मनवा…………………।
जिस जीवन को दिया प्रभू ने ……2 आए उसको सम्भाल ………
मनवा प्रभू आए तेरे द्वार मनवा…………………।
जप तप साधन कुछ भी न मांगे ……2
मांगें केवल प्यार……… मनवा प्रभू आए तेरे द्वार मनवा…………………।
जीवन पथ को रौशन करले ……2
मौका मिला इस बार ……… मनवा प्रभू आए तेरे द्वार मनवा…………………।


६ सुरतिया हुई आज निहाल


सुरतिया हुई आज निहाल। सुरतिया हुई आज निहाल।।
सुरतिया हुई आज निहाल……………

इन नैनों ने दरशन पाया मन न होत सम्भाल।
सुरतिया हुई आज निहाल……………।।

मन के द्वार में प्रगटे प्रभूजी मिला चैन सब भांत।
सुरतिया हुई आज निहाल……………।।

ज्ञानी ध्यानी पार न पाए फंसे भ्रम की जाल।
सुरतिया हुई आज निहाल……………।।

श्री चरणों में प्रीत लगाई हुआ ये कैसा कमाल।
सुरतिया हुई आज निहाल……………।।


७  
बहे अंसुवन कि धार

बहे अंसुवन की धार प्रभू मेरी विनती सुनो इस बार।
विनती सुनो इस बार प्रभू मेरी…………………।।

धीरज मेरा छुटा जाए कहुं किसे करतार।
कहुं किसे करतार प्रभू मेरी…………………।
विनती सुनो इस बार प्रभू मेरी…………………।।

श्री चरणों में रखलो मुझको विनती बारम्बार।
विनती बारम्बार प्रभू मेरी…………………।
विनती सुनो इस बार प्रभू मेरी…………………।।

सुना है कितने पापी तारे मेरा भी करो निस्तार।
करो मेरा निस्तार प्रभू मेरी…………………।
विनती सुनो इस बार प्रभू मेरी…………………।।

तज कर सबकुछ द्वार खडा हूं रखदो सिर पर हाथ
सिर पर रखदो हाथ प्रभू मेरी…………………।
विनती सुनो इस बार प्रभू मेरी…………………।।


८ सर्वोत्तम ..........
सर्वोत्तम ! पुरूषोत्तम ! न कोई तुमसे उत्तम।
सर्वोत्तम ! पुरूषोत्तम ! न कोई तुमसे उत्तम।
नहीं कोई तुमसे ऊत्तम …………………2

दीन दुखी के सहारे हो। भक्तों के नैन के तारे हो।
ज्योतिर्मय जग को बनाने। बन आए तुम नरोत्तम।।
सर्वोत्तम ! पुरूषोत्तम ! न कोई तुमसे उत्तम।
नहीं कोई तुमसे ऊत्तम …………………2


सदियों से तुम्हें ढूंढ़ रहे। अब तक क्यूं तुम दूर रहे।
दया अपनी बरसादो। तेरे चरणों में आए हम।।
सर्वोत्तम ! पुरूषोत्तम ! न कोई तुमसे उत्तम।
नहीं कोई तुमसे ऊत्तम …………………2

मैं जब भी पुकारूं आना प्रभू ! नहीं मुझको भूल न जाना प्रभू !
है जनम जनम का रिश्ता। नहीं दुनिया में खो जाएं हम।।
सर्वोत्तम ! पुरूषोत्तम ! न कोई तुमसे उत्तम।
नहीं कोई तुमसे ऊत्तम …………………2

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