संदीपन

25 मार्च 2015

motor-sensory-co-ordination

जब जो काम करने को है चटपट उसी समय कर लेना चाहिये अन्यथा धोखा खाओगे। motor-sensory-co-ordination ( बोधस्नायु व कर्मस्नायु की संगति ) नहीं रहने पर जीवन का output (उत्पादन) नहीं बढ़ता है। इसके अलावा शरीर मन को balance (संतुलन) के लिए भी motor-sensory-co-ordination (संहति) की आवश्यकता पड़ती है। उस co-ordination (संहति) को पूरी तरह लाने के लिए कुछ कायिक परिश्रम का प्रयोजन होता है। उससे शरीर स्वस्थ रहता है। मन भी चंगा रहता है। माथा भी तरोताजा बना रहता है। उससे मस्तिष्क का कार्य भी अच्छी तरह हो सकता है। नीरसता दूर हो जाती है। चाहे जो भी हो आज ही काम ख़त्म कर डालो।
--: श्री श्री ठाकुरआलोचना-प्रसंग, चतुर्थ खंड, पृ.सं.-85

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