संदीपन

26 दिस॰ 2013

कई लोग मुझसे पूछते हैं ?


  1. ठाकुर कौन है ?
  2. क्या वे हर मनुष्य  को प्रेम  करते हैं ?
  3. वे किस  प्रकार  मनुष्य  की   रक्षा  करते हैं ?
  4. उनके नज़दीक हम कैसे आ सकते हैं ? 
ठाकुर कौन है ?
 मेरी  दृष्टि  अल्प है. न कोई साधना है न अनुभव. पर अपने अल्प ज्ञान से ठाकुर को मैंने जितना जाना उसकी व्याख्या करना मैं समझती हूँ निहायत कठिन है. बल्कि यह कह सकती हूँ जितना आगे  जाती हूँ ऐसा लगता है आज तक   जितना उनको जाना वे तो उससे और ज्यादा अलग हैं.

कहने का तात्पर्य है उनकी महिमा अनंत है उनकी लीला अनंत है. इस स्थूल दृष्टि से न तो उनको देखा जा सकता है न समझा जा सकता है.

फिर भी एक पंक्ति में बस इतना कह सकती हूँ कि वे हमारी सांसों कि प्रत्येक लय में हैं. उन्हें महसूस किया जा सकता है.
वे हमारे अंदर हमारी अंतरात्मा में समाये  हैं.

क्या ठाकुर हर मनुष्य से  प्रेम  करते हैं ?
वे किससे प्रेम नहीं करते ?
श्री श्री ठाकुर के सान्निध्य में उनका दरसन करने एक बार एक डॉक्टर आए .
परम अराध्या श्री श्री बोरमा वहीँ बैठीं थीं. डॉक्टर आया तो था ठाकुर का दर्शन करने पर श्री श्री बोरमा के दिव्य आलोकित रूप को देख कर डॉक्टर के अंदर की छुपी अनगिनत  बुराई  वासना बनकर उसके मन में उठी कि काश इस अद्भूत नारी  को मैं हाथ से स्पर्स कर पाता.
श्री श्री ठाकुर तो अंतर्यामी हैं  सब जानते हैं. उन्होंने वहाँ बैठे एक गुरुभाई से कहा : बोरमा को इनदिनों सर्दी रहती है डॉक्टर बाबू के जाने के समय उनका चेक-उप करवा देना .
 श्री श्री ठाकुर तो सम्पूर्ण  सत्ता के मालिक हैं उनके सानिध्य में जो विसिस्ट गुरुभाई   रहते हैं वे भी कोई सामान्य नहीं होते .  जिस गुरु भाई से ठाकुर ने यह बात कही वह डॉक्टर की भावना  को भांप गया . जब डॉक्टर बाहर   निकला तो उस गुरु भाई ने उसे क्रुद्ध होकर बाहर निकल दिया.
शाम के समय सभी  ने देखा  ठाकुर न तो किसी से बात कर रहे हैं न खाना ही खा रहे हैं.
बहुत प्रकार से बहुत मुश्किल से उन्हें पूछा गया तो ठाकुर बोले : क्या मैं नहीं जनता था कि डॉक्टर कि नीयत क्या है फिरभी    मैंने   तुमपर  भरोसा  किया और  कहा . परन्तु    तुमने मेरे मन कि व्यथा नहीं समझी . अरे तेरी बोरमा तो जगत जननी है अगर वह डॉक्टर उसे हाथ लगा देता तो उनके स्पर्श मात्र से उस डॉक्टर के अंदर के  समस्त पाप भाव शांत हो जाते . मेरे पास आकर भी वह अपनी पाप बुद्धि को लेकर चला गया.
बाहर के   जगत में  वह डॉक्टर न जाने किस किस नारी को किस किस दृष्टि   से देखेगा और न जाने कैसा व्यवहार करेगा.
अब समझा जा सकता है ठाकुर हर  मनुष्य को कितना प्रेम करते थे .





कोई टिप्पणी नहीं: