संदीपन

13 फ़र॰ 2010

आह्वान

यह ब्लॉग उन लोंगो को समर्पित है जो यह जानना चाहते है :

मनुष्य तो हर कोई है पर मनुष्यता सब में क्यों नही झलकती सही रास्तो पर चलते हुए भी जीवन में शांति क्यों नहीं आती ?
आज पग पग पर गुरु विभूतिया है पर उनमे ब्रम्हा बिष्णु महेश की अनुभूति क्यों नहीं होती ?
मानव का शरीर लेने से ही कोई मनुष्य नहीं हो जाता, उसी प्रकार एक आश्रम या संस्कृत के सुंदर दोहे व बड़े बड़े प्रवचन देने से ही कोई गुरु भी नहीं हो जाता ?  जहा ज्यादा प्रचार है वहां थोड़ा सावधान भी रहने की आवश्यकता है ? उसी भांति जैसे माँ अपने बच्चो को खाना खिलाती है तो क्या प्रचार करती है?
उसी प्रकार सद्गुरु का ह्रदय माँ जैसा होता है वे कभी अपने शिष्यों को प्रचार कर लोंगो को दिखाकर कृपा नहीं करते । वे एक माँ की भांति सदैव यही चाहेंगे की उनके शिष्य कड़ी मेहनत करके जीवन संग्राम में सफल हो।
भाई  और बहनों !
श्री श्री ठाकुर की अनगीनत वाणियों का सार है प्रेम!
श्री श्री  ठाकुर  ने धरती पर अवतरित होकर प्रेम की अविरल धारा प्रवाहित की है। तभी उन्हें कहा जाता है परम प्रेममय! श्री श्री ठाकुर के बताए मार्ग पर चलकर ही हम जान पाये कि इस धरती पर सबसे सुंदर अगर कुछ है तो वह है प्रेम!  प्रेम ही वह तत्व है जो मनुष्य की हर समस्या को सुलझा सकता है।
आज जो संसार में सर्वत्र अन्याय,अत्याचार और हिंसा का माहौल है उसका मुख्य कारण ही है आपसी प्रेम की कमी. कहा जाता है : बसुदेव कुटुंबकम ! लेकिन सारा संसार तो क्या घर के चार प्राणी भी कुटुंब की तरह रहते नहीं देखे जाते.
वही एक तरफ पर हम श्री श्री ठाकुर की शरणागति में आए अपने गुरु भई बहनों को देखते है तो एक दो नहीं लाखों लाखों व्यक्ति एक ऐसी सुख शांति की अविरल धारा में बहते हुए,  अपने दैनिक जीवन की सम्पूर्ण जिम्मेवारियों को निभाते हुए एक ऊँचे लक्ष्य को पाने की राह में उत्साह के साथ चल रहे हैं ?
आखिर ऐसी कौन सी बात है जो हमे ठाकुर जी की भावधारा में इतना सुख, इतना आनंद देती है ?
इन लाखों लाखों लोंगो में हम देखते है : चाहे किसी के घर नहीं, गाड़ी नहीं, अन्य भौतिक सुख साधन नहीं, लेकिन उनका चेहरा उनकी आवाज एक अलग ओज से भरपूर रहती है. उनके पास होता है जीने का एक ऐसा शानदार तरीका !
आइये!  इस ब्लॉग के माध्यम से, हम ऐसे ही प्रेम के उधाता युगपुरुष युग्पुरुषोत्तम श्री श्री ठाकुर की के दिखाए मार्ग का अपने विचारों अथवा लेख के साथ विस्तार से चर्चा करें !
अगर ठाकुर जी को लेकर आपके पास अपना कोई अनुभव है और आप एक लेखक के रूप में इस ब्लॉग से जुड़ना चाहते हैं तो हमारे संपादक मंडल में आपका हार्दिक स्वागत है! आप अपने परिचय के साथ हमसे संपर्क कर सकते हैं !

1 टिप्पणी:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी मान्यताओं का आदर करता हूँ!
हार्दिक शुभकामनाएँ!