संदीपन
7 जून 2014
सत्यानुसरण
"
अर्थ
,
मान
,
यश
,
इत्यादि
पाने
की
आशा
में
मुझे
ठाकुर
बनाकर
भक्त
मत
बनो
,
सावधान
होओ
--
ठगे
जाओगे
;
तुम्हारा
ठाकुरत्व
न
जागने
पर
कोई
तुम्हारा
केन्द्र
भी
नहीं
,
ठाकुर
भी
नहीं
--
धोखा
देकर
धोखे
में
पड़ोगे।
"
--
श्री
श्री
ठाकुर
4 टिप्पणियां:
Unknown
ने कहा…
जय गुरू
14 जुलाई 2016 को 9:43 pm बजे
Unknown
ने कहा…
जय गुरू
14 जुलाई 2016 को 9:49 pm बजे
Unknown
ने कहा…
जय गुरू
14 जुलाई 2016 को 9:50 pm बजे
Unknown
ने कहा…
Jai guru dada
1 अगस्त 2018 को 2:08 am बजे
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जय गुरू
जय गुरू
जय गुरू
Jai guru dada
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